एटा, सितम्बर 5 -- शुक्रवार को जैन धर्म अनुयायियों ने दशलक्षण महापर्व के नौवें दिन उत्तम आकिंचन्य धर्म का पालन करते हुए रत्नत्रय व्रत रखा और सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र रूपी रत्नों को धारण करने की कामना की। जैन गुरूओं के सानिध्य में भक्तों ने जिनेंद्र प्रभु का भक्तिभाव से पूजन किया। पुरानी बस्ती स्थित श्री पद्मावती पुरवाल पंचायत बड़े जैन मंदिर में श्रावक-श्राविकाओं ने व्रत धारण करते हुए प्रात: भगवान महावीर स्वामी समेत सभी 24 तीर्थंकर भगवान की पूजा-अर्चना की। इसके बाद हुई प्रवचन सभा में मथुरा से पधारे जैन पंड़ित रीतेश जैन ने बताया कि आत्मा के सिवाय कुछ भी अपना न लगना उत्तम आकिंचन धर्म है। ग्रहण और त्याग देने के भाव से ऊपर जो हमारे अंदर धर्म प्रकट होता है, वही आकिंचन धर्म है। आकिंचन धर्म सिखाता है कि चाहे हम लोगों के बीच में रह...