नई दिल्ली, अक्टूबर 7 -- सनातन धर्म में शिखा मतलब चोटी रखने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। शिखा का महत्व भारतीय संस्कृति में अंकुश के समान है। यह हमारे ऊपर आदर्श और सिद्धांतों का अंकुश है। हमारे लघु और दीर्घ मस्तिष्कों को जोड़ने वाले केंद्र को 'अधिपति' मर्मस्थल कहते हैं, जो मस्तिष्क का हृदय कहलाता है। यहीं पर ब्रह्मरंध्र, द्विदलीय आज्ञाचक्र और पीनियल ग्लैंड से संपर्क जोड़ने वाली नाड़ियां आकर मिलती हैं, जो बच्चे की चिंतन शक्ति का विकास करती हैं। शिखा रखने से नाड़ियों का संतुलन बना रहता है। शरीर व मन पर नियंत्रण रहता है, जिससे ध्यान व योग में सहायता मिलती है। इस स्थान पर जो बालों का भंवर होता है, उसकी जड़ें उन चेतना केंद्रों तक जाती हैं, जिसके कारण हम बुद्धिमान व मनस्वी बनते हैं। ऐसे मर्मस्थल की पहचान और सुरक्षा के लिए ही हमारे ऋषियो...