पूर्णिया, सितम्बर 12 -- पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता।सखी बहिनपा मैथिलानी समूह की सखियों द्वारा जितिया उत्सव मनाया गया। इस मौके पर कहा गया कि मिथिला में जितिया व्रत का काफी महत्व है। अपने संतान के दीर्घायु एवं अपने सौभाग्य के लिए किया जाने वाला यह व्रत तीन दिनों का होता है। पहले दिन नहाय खाय से आरंभ होता है। उस दिन सरसों तेल एवं सरसों की खल्ली को झिगुनी के पत्ते पर चढ़ा कर जीमूतवाहन की पूजा की जाती है। दूसरे दिन निर्जला रहकर ये व्रत माताएं करती हैं। इस व्रत में आचमन करना भी वर्जित रहता है। शाम के वक्त चील्ह-सियारनी की कथा सुनी जाती है। कभी-कभी यह व्रत 36 घंटे का भी होता है। फिर तीसरे दिन स्नान कर पूजा के बाद ब्राह्मण भोजन कराने के बाद ही माताएं अन्न जल ग्रहण करती हैं। पूर्णिया इकाई की प्रभारी सुषमा झा ने कहा कि सखी बहिनपा मैथिलानी समूह ...