नई दिल्ली, जुलाई 7 -- उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना बच्चों के लिए माता-पिता की तरह है और इसे बदला नहीं जा सकता, चाहे कोई कितनी भी कोशिश कर ले। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना को लेकर कई मुद्दे रहे हैं। कोच्चि स्थित 'नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एडवांस्ड लीगल स्टडीज' (एनयूएएलएस) में छात्रों और संकाय सदस्यों के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से किसी भी देश के संविधान की प्रस्तावना में बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन भारत के संविधान की प्रस्तावना में आपातकाल के दौरान बदलाव किया गया। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान की प्रस्तावना उस समय बदली गई जब सैकड़ों और हजारों लोग जेल में थे, जो कि हमारे लोकतंत्र का सबसे अंधकारमय काल यानी आपातकाल था। उनका यह बयान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा संविधान...
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