नई दिल्ली, दिसम्बर 27 -- नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। सड़क हादसे के बाद घायल को अस्पताल पहुंचा देना, आरोपी को निर्दोष नहीं बना देता है। तीस हजारी कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि हादसे के बाद दिखाई गई इंसानियत, तेज रफ्तार और लापरवाही से वाहन चलाने वाले अपराध को खत्म नहीं कर सकती। अदालत ने कहा कि मानवता सराहनीय हो सकती है, लेकिन वह कानून के तहत अपराध की ढाल नहीं बन सकती। यह टिप्पणी करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी राशि रहेजा ने 12 साल पुराने एक सड़क हादसे के मामले में कार चालक राज कुमार शर्मा को दोषी ठहराया है। अदालत ने आरोपी को आईपीसी की धारा 279 और 304ए के साथ-साथ मोटर वाहन अधिनियम की धारा 196 के तहत दोषी करार दिया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, 30 जनवरी 2013 की रात शास्त्री नगर इलाके में आरोपी तेज रफ्तार से कार चला रहा था। इस दौरान उसने...
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