दुमका, दिसम्बर 27 -- दुमका, प्रतिनिधि। दुमका जिला संतमत सत्संग समिति की ओर से महर्षि मेंहीं आश्रम पुसारों में सात दिवसीय का ध्यान साधना शिविर एवं संतमत सत्संग का दूसरा दिन पवित्र ग्रंथ रामचरितमानस से पाठ किया गया। महर्षि मेंही आश्रम कुप्पाघाट भागलपुर से पधारे स्वामी सुबोधनंद ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा सत्संग करने से हर पाप का नष्ट होता है। सत्संग करने से न केवल पाप नष्ट होते हैं, बल्कि मन की शांति, आत्म-साक्षात्कार, और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन भी होते हैं। सत्संग से हमें जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है और हम अपने जीवन को अधिक अर्थपूर्ण बना सकते हैं। कहा आत्मज्ञान और ईश्वर सम्बन्धी ज्ञान वास्तव में जीवन का सबसे ऊंचा ज्ञान है। यह हमें सदाचार और उत्तम आचरण की ओर ले जाता है, जिससे हम अपने जीवन को अधिक अर्थपूर्ण और शांत...