लखनऊ, सितम्बर 22 -- पितृपक्ष के अंतिम दिन रविवार को पितृविसर्जनी अमावस्या को लोगों ने श्राद्ध, तर्पण व दान देकर पितरों को विदा किया। पितृविसर्जनी अमावस्या को लोगों ने सर्वपितृ श्राद्ध किया। यानी जिन पितरों की पुण्यतिथि ज्ञात नहीं थी या जिनकी श्राद्ध पितृपक्ष के 15 दिनों में नहीं गया था, उनका विधि विधान के साथ श्राद्ध और तर्पण किया गया। सुबह लोगों ने स्नान ध्यान कर गोबर के कंडे जलाकर खीर की आहुति दी। जल के छींटे देकर हाथ जोड़ कर पितरों को प्रणाम किया। इसके साथ ही गाय को ग्रास, कुत्ते, कौवे और चीटियों को भी भोजन खिलाया। दान पुण्य किया। भगवद गीता व हरिवंश पुराण का पाठ, पितृ गायत्री मंत्र का जप किया। ऐसी मान्यता है कि श्राद्ध व तर्पण से पितृ शांत और प्रसन्न होते हैं। ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि जो व्यक्ति अपने पितरों का अमावस्या को श...