नई दिल्ली, अक्टूबर 3 -- दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि बाल विवाह और यौन अपराध के मामले को केवल पक्षों के बीच समझौते के आधार पर रद्द करना कानून के खिलाफ होगा। जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने स्पष्ट किया कि ऐसा करने से उस गैरकानूनी आचरण को ''न्यायिक स्वीकृति'' मिल जाएगी, जिसे संसद रोकना चाहती है। हाईकोर्ट ने कहा कि समझौता या शादी यौन अपराध से मुक्ति का रास्ता नहीं हो सकता। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट दो आरोपियों द्वारा दायर एक याचिका पर विचार कर रहा था, जिसमें बाल विवाह और नाबालिग पर यौन हमले के आरोपों में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर इस आधार पर रद्द करने की मांग की गई थी कि उन्होंने अभियोजन पक्ष के साथ समझौता कर लिया है। लड़की के पिता ने एफआईआर दर्ज कराई थी, जिन्होंने आरोप लगाया गया था कि उनकी 17 वर्षीय बेटी दिसंबर...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.