झांसी, जून 12 -- कानपुर वरिष्ठ संवाददाता दो दशक पहले मेजर सलमान अहमद खान आतंकियों का सामना करते हुए शहीद हो गए। शहादत से पहले उन्होंने उस आतंकी को मौत के घाट उतार दिया जिसने उन पर जानलेवा हमला किया था। इस घटना में शहीद हुए वीर सपूत की याद शहर के ज्यादातर विधायकों को नहीं है। अब उन्होंने वादा किया है कि वे पूरी बात पता कर झकरकटी बस अड्डे पर अमर शहीद मेजर सलमान अहमद खान बस स्टैंड का बोर्ड लगवाएंगे। संकेतकों में नाम बदलवाएंगे। टिकट पर भी नाम बदलवा कर रहेंगे। देश पर कुर्बान होने वालों की कभी कमी नहीं रही। शहर ने ऐसे एक नहीं कई जवान दिए जिन्होंने मुल्क के लिए जान न्योछावर कर दी। सिख-06 राष्ट्रीय राइफल के मेजर सलमान इनमें से एक हैं। कारगिल युद्ध में जांबाजी का परिचय देने के बाद वर्ष वर्ष 2005 में पाकिस्तान के आतंकियों से भिड़ते हुए वह शहीद हो ग...