मोतिहारी, जून 10 -- पूर्वी चंपारण जिले के दो दर्जन के करीब वित्तरहित शिक्षण संस्थानों में कार्यरत रहे शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मियों की आर्थिक स्थिति वेतन के अभाव में चरमरा गई है। 1981 में वित्तरहित शिक्षा नीति के लागू होने के बाद इंटर कॉलेज खोलकर शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मियों की बहाली की गई। शासी निकाय या प्रबंधन समितियों के द्वारा बहाली तो कर दी गई लेकिन कार्यरत कर्मी सरकारी स्तर पर वेतन के लिए संघर्षरत रहे। प्रो रणजीत कुमार,प्रो फैयाज अहमद,डॉ (प्रो) राजेश्वर पांडेय ने बताया कि सरकारें बनती रहीं। आश्वासन मिलता रहा, लेकिन वित्तरहित शिक्षा नीति नहीं बदली। शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मी आर्थिक तंगी के बीच जीवन बसर करते रहे। कर्ज में डूबे कर्मी परिवार की गाड़ी किसी तरह खींचते रहे। लेकिन सरकारें कान में तेल डाल इस समस्या से मुंह मोड़ती रही। वर्ष 2008 म...