आगरा, दिसम्बर 20 -- सोरों के गांव पचलाना-कुमरौआ में 80 हैक्टेयर भूमि में रोपित वराह वन से पचलाना की गोशाला जुड़ने पर गोवंश को प्राकृतिक वातावरण मिलेगा। वन में गोवंश को चरने के लिए घास, चारा, गर्मियों में पेड़ों की छांव व विचरण के लिए पर्याप्त जगह मिलेगी। तीर्थ नगरी के लोगों की मांग है कि वराह वन को पचलाना की गोशाला से जोड़ा जाए। वराह वन व पचलाना की गोशाला पास-पास ही हैं। तीर्थ नगरी सोरों के पंडित उमेश पाठक कहते हैं कि पचलाना में बनी गोशाला में इस समय 400 से अधिक गोवंश सरंक्षित हैं। इस गोवंश को रहने व विचरण करने के लिए सीमित क्षेत्र व संसाधन हैं। गोवंश को नियंत्रित रूप से वराह वन के भीतर टहलने और चरने की अनुमति दी जाए तो यह गौ संरक्षण और पर्यावरण संवर्धन, दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है। वन में प्राकृतिक घास, झाड़ियां और सूखी पत्तिया...
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