लखनऊ, दिसम्बर 20 -- लखनऊ, कार्यालय संवाददाता रेपर्टवा फेस्टिवल के 13वें संस्करण में जनेश्वर मिश्र पार्क में प्रस्तुत म्यूजिकल दास्तानगोई जो डूबा सो पार ने दर्शकों को सूफी संगीत और कहानी कहने की पारंपरिक कला के जादुई मेल में डुबो दिया। यह अनोखी प्रस्तुति 14वीं शताब्दी के महान सूफी कवि, संगीतकार और विद्वान अमीर खुसरो की जीवन यात्रा और रचनाओं पर आधारित रही। अजितेश गुप्ता और मोहित अग्रवाल के निर्देशन में प्रस्तुत दास्तानगोई में खुसरो के बचपन (जिनका मूल नाम यमीनुद्दीन था) से लेकर महान कवि बनने तक की रोचक दास्तानें सुनायी। दास्तान में उनके गुरु हजरत निजामुद्दीन औलिया के साथ गहरा आध्यात्मिक प्रेम और गुरु-शिष्य बंधन को बेहद मार्मिक ढंग से दिखाया गया। साथ ही, खुसरो द्वारा कव्वाली संगीत के उदय और विकास को भी जीवंत रूप दिया गया। पारंपरिक दास्तानगोई ...