नई दिल्ली, अगस्त 27 -- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण संवैधानिक मामले पर सुनवाई करते हुए यह चिंता जताई कि अगर राष्ट्रपति या राज्यपाल अनिश्चित काल तक किसी विधेयक को मंजूरी देने से इनकार करते हैं तो क्या न्यायपालिका इस पर शक्तिहीन होकर देखती रहेगी। इस सुनवाई में शीर्ष अदालत ने पूछा कि अगर विधानसभा से पारित बिलों पर वर्षों तक कोई निर्णय नहीं लिया जाता है, तो क्या अदालत इस पर कोई समय सीमा तय नहीं कर सकती है? मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने इस मुद्दे की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा, "जब विधायिका के दोनों सदनों ने विधेयक को मंजूरी दे दी है तो राष्ट्रपति या राज्यपाल को इस पर अनिश्चित काल तक क्यों बैठना चाहिए?" पीठ ने यह भी कहा कि हालांकि वे कोई निश्चित समय सारिणी तय नहीं कर सकते, लेकिन अगर ...
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