इटावा औरैया, दिसम्बर 24 -- इटावा। राम चरित मानस वैदुष्यता से सम्पन्न ऐसा विशिष्ट ग्रंथ है, जिसको कह पाने की सामर्थ्य एकमात्र गोस्वामी तुलसीदास जी में ही हुई। यह संत वाणी इटावा महोत्सव पंडाल में दो दिवसीय राम चरित मानस सम्मेलन का शुभारम्भ करते हुए भारत के विख्यात संत मलूक पीठाधीश्वर पूज्य राजेंद्र दास महाराज देवाचार्य ने मंच से कही। मानस की महिमा पर बोलते हुए पूज्य संत राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि यदि जीवन भर राम कथा और राम चरित्र सुनकर भी व्यक्ति में ऐसा स्वभाव न आया तो सब व्यर्थ है। राम चरित मानस में तीन शब्द हैं, जिनका तात्विक संदेश यही है कि अगर राम से मिलना है तो चरित्र के निर्वहन पर विशेष ध्यान देना होगा। राम जी जिस आचरण पर चले, वही मार्ग राम से मिलने का सबसे सुगम साधन हो सकता है। उन्होंने कहा कि मानस से बड़ा शिक्षक कोई नहीं है, जिसन...