नई दिल्ली, अगस्त 15 -- राजधानी में साझी विरासत का पर्व रहा है कृष्ण जन्माष्टमी -बाड़ा हिंदू राव में रहने वाले प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और शायर हसरत मोहानी कृष्ण जन्माष्टमी पर जाते थे मथुरा -राजधानी के ही इस्लामी विद्वान ख्वाजा हसन निजामी ने 20 वीं सदी में लिखी पुस्तक नई दिल्ली। अभिनव उपाध्याय दिल्ली की साझी विरासत का इतिहास सिर्फ होली, दीवाली या रामलीला तक सीमित नहीं, बल्कि कृष्ण जन्माष्टमी भी यहां की साझी सांस्कृतिक विरासत का चमकदार हिस्सा रही है। यह वह पर्व था जब मंदिरों की सजावट में मोहल्ले का हर समुदाय शामिल होता था, झांकियों को देखने के लिए गलियों में हर धर्म के लोग उमड़ते थे और कृष्ण के प्रति प्रेम, कविता और साहित्य में भी बखूबी झलकता था। 18वीं सदी के मिर्जा हसन कतील से लेकर 20वीं सदी के ख्वाजा हसन निजामी और हसरत मोहानी तक...