नई दिल्ली, सितम्बर 6 -- ओडिशा उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक निचली अदालत के उस आदेश बरकरार रखा है जिसमें एक पुरुष के DNA परीक्षण की मांग को अस्वीकार कर दिया गया था। सुनवाई के दौरान जस्टिस बी.पी. राउत्रे की एकल पीठ ने कहा कि बच्चे के डीएनए परीक्षण का निर्देश देना एक महिला के मातृत्व का अपमान होगा। कोर्ट ने कहा कि यह साक्ष्य अधिनियम की धारा 112 में निहित कानून के खिलाफ भी है। हाईकोर्ट ने शख्स की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह ध्यान में रखना चाहिए कि किसी व्यक्ति को डीएनए परीक्षण के लिए मजबूर करने से उसकी निजता का अधिकार प्रभावित होता है। गौरतलब है कि हाईकोर्ट में उस केस के सिलसिले में सुनवाई हो रही थी जहां संपत्ति के बंटवारे को लेकर एक संयुक्त परिवार के बीच विवाद शुरू हो गया था। विवाद के दौरान प्रतिद्वंदी पक्ष के माता-पिता का पता लगाने ...