नई दिल्ली, दिसम्बर 29 -- प्रियदर्शन,वरिष्ठ पत्रकार साल 2025 जाते-जाते एक बड़ा दुख दे गया। विनोद कुमार शुक्ल नहीं रहे। हालांकि, इस 'नहीं रहे' वाले वाक्य के भीतर भी उनकी उपस्थिति इस सघनता से गूंजती रही कि लगा, यह विनोद कुमार शुक्ल के काव्य-कृतित्व का ही विस्तार है। हिंदी के संसार ने उन्हें बहुत मन से याद किया। उनसे कुछ पहले राजी सेठ और रामदरश मिश्र ने आंखें मूंद लीं और हिंदी की दुनिया को शोक और स्मृति के पल दिए। वैसे, हिंदी साहित्य की दुनिया में इस साल का बड़ा हिस्सा विनोद कुमार शुक्ल की चर्चा के साथ ही निकला। जब मई में हिंद युग्म के प्रकाशक शैलेश भारतवासी ने 'संगत' के अपने इंटरव्यू में कहा कि वह विनोद कुमार शुक्ल को 30 लाख रुपये तक की रॉयल्टी दे सकते हैं, तब हिंदी की दुनिया ने इसे अविश्वास के साथ देखा और सुना। कुछ ही महीनों के भीतर प्रकाशन...