हरिद्वार, अक्टूबर 2 -- हरिद्वार, संवाददाता। विजयादशमी पर कनखल के महानिर्वाणी अखाड़े में शनागा संन्यासियों ने सूर्य प्रकाश और भैरव प्रकाश भालों और शस्त्रों की गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराकर पूजा अर्चना की। इससे साधु संतों ने धर्म, राष्ट्र और सनातन परंपरा की रक्षा का संदेश दिया। अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने बताया कि ढाई हजार साल पहले आदि गुरु शंकराचार्य ने अखाड़ों की स्थापना कर नागा संन्यासियों को शास्त्र और शस्त्र, दोनों का ज्ञान दिया था। तब से यह परंपरा चली आ रही है। बताया कि देवता रूपी भालों को कुंभ मेले में पेशवाई के दौरान आगे रखा जाता है और शाही स्नान में सबसे पहले गंगा स्नान कराया जाता है। इसके बाद साधु संत स्नान करते हैं।

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