संभल, मई 28 -- जनपद की मिट्टी में दिनों-दिन घट रही जैविक तत्वों की मात्रा (जीवांश कार्बन) को संतुलित करने के लिए कृषि वैज्ञानिक सक्रिय हो गए हैं। विशेषज्ञ किसानों को मक्का की कटाई के बाद खेत में ढ़ेचा और दलहनी फसलें जैसे मूंग, उड़द या अरहर बोने की सलाह दे रहे हैं। इन फसलों के प्रयोग से न केवल खेत की मिट्टी को आवश्यक जीवांश मिलेगा, बल्कि भूमि की उर्वरता भी सुधरेगी और अगली फसलों का उत्पादन बेहतर होगा। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि ढ़ेचा और दलहन की फसलें मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सहायक होती हैं, जिससे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होगी। यह होंगे फायदे . मिट्टी की सेहत होगी बेहतर . उत्पादन में आएगा इजाफा . रासायनिक उर्वरकों की लागत घटेगी . टिकाऊ खेती को मिलेगा बढ़ावा

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