नई दिल्ली, दिसम्बर 23 -- महाभारत में बाण शय्या पर लेटे भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को जीवन के कई महत्वपूर्ण नियम बताए, जिन्हें भीष्म नीति कहा जाता है। इनमें भोजन के नियम भी शामिल हैं। भीष्म पितामह कहते हैं कि भोजन केवल पेट भरने के लिए नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि के लिए है। गलत भोजन खाने से स्वास्थ्य बिगड़ता है, आयु कम होती है और जीवन में परेशानियां बढ़ती हैं। भीष्म जी ने 4 प्रकार के भोजन से बचने की सलाह दी है, जो अकाल मृत्यु और कष्ट का कारण बनते हैं। ये नियम आज भी प्रासंगिक हैं। आइए जानते हैं।दूसरों की थाली से या बचा हुआ भोजन भीष्म पितामह कहते हैं कि दूसरों की थाली से या बचा हुआ भोजन खाना अशुभ है। इससे व्यक्ति का सम्मान कम होता है और नकारात्मक ऊर्जा शरीर में प्रवेश करती है। महाभारत में वर्णित है कि बचा भोजन खाने से आयु कम होती ह...