वरिष्ठ संवाददाता, सितम्बर 17 -- बरेली के राजेंद्र नगर में रहने वाले एक परिवार के पास एक अनोखी विरासत है। यह विरासत है पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रह गई उनकी पुश्तैनी जमीन का बैनामा। यह रजिस्ट्री चार पीढ़ियों से सहेजी गई यादों की परिवार में आखिरी कड़ी है। जमीन पर कब्जा तो दूर की बात है, लेकिन चार पीढ़ियों ने उस जगह को भी नहीं देखा, क्योंकि 14 अगस्त 1947 को विभाजन से ठीक 23 दिन पहले यह तीन बीघा जमीन टंडो अलई में खरीदी गई थी। बरेली के दवा दुकानदार दुर्गेश खटवानी बताते हैं कि उनके दादा देवनदास खटवानी सिंध प्रांत के एक जमींदार थे। कई एकड़ जमीनें उनके पास थीं। विभाजन की चर्चा के बावजूद आम लोगों तब यह विश्वास था कि देश नहीं बंटेगा। इसी विश्वास से उनके दादा ने विभाजन से 23 दिन पहले जमीन का बैनामा करवा लिया था। लेकिन विभाजन हुआ तो पूरा परिवार भारत आ ...
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