बक्सर, जून 16 -- बक्सर, निज संवाददाता। कोई भी देश तब गुलाम होता है। जब राजनीति, धर्मनीति एवं समाजनीति दिशाहीन हो जाती है। इसका मूल कारण की प्रबलता है। जब मानव स्वार्थ के वशीभूत हो जाता है तब वह महादानव बन जाता है। नतीजतन, सिद्धांतविहीन राजनीति, शास्त्रविहीन धर्मनीति और संस्कारहीन समाज बन जाता है। व्यक्ति की सोच स्वयं तक ही सीमित होने से देश, धर्म और समाज का पतन प्रारंभ हो जाता है। श्रीमार्कंडेय पुराण में कहा गया है कि भारत भूमिखंड नहीं है, अपितु यह सनातन धर्म की अखंड भूमि है। यहां के कण-कण में सनातन धर्म का निवास है। यहीं कारण है कि गंगा का जल पानी नहीं, तुलसी का पत्ता, पत्ता नहीं, शालिग्राम पत्थर नहीं है। अपितु ये तीनों मुक्ति देने वाले ब्रह्मवस्तु हैं। परमात्मा द्रव्य हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण वेद शास्त्र पुराणों आदि में देखा जाता है। ...