सिद्धार्थ, दिसम्बर 20 -- डुमरियागंज, हिन्दुस्तान संवाद। श्रीमद्भागवत कथा एक पवित्र ग्रंथ है। जिसका महत्व भक्तों के लिए बहुत गहरा है, जो मोक्ष और शांति प्रदान करती है। इससे जीवन के लौकिक और आध्यात्मिक विकास में मदद मिलती है। यह सभी वेदों का सार है और भक्तिमार्ग का सोपान मानी जाती है। इसे सुनने से जन्म- जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं और मन शांत होता है। यह बातें इटवा रोड पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिन कथावाचक आलोकानंद शास्त्री ने कही। उन्होंने कहा कि नारद जी को भगवान के चरणों से निष्काम प्रेम था, इसलिए उन्हें भगवान का सानिध्य प्राप्त हुआ। यही उपदेश नारद जी ने महर्षि वेदव्यास जी को दिया। जब 17 पुराणों का अध्ययन करने के बाद भी व्यास जी को संतोष नहीं हुआ तो नारद जी ने उन्हें भागवत का विस्तार करने के लिए कहा। सुकदेव महाराज जी ने महर्षि ...