जौनपुर, अगस्त 30 -- सुजानगंज, हिन्दुस्तान संवाद। श्री रामचरितमानस में महाराज भरत का जो आदर्श चरित्र है उसकी महिमा का बखान करना संभव नहीं है। संक्षेप में अगर कहा जाए तो भरत राम के प्रेम की प्रतिमूर्ति हैं। यह उद्गार भिखारीपुर कला में चल रही श्री राम कथा में प्रकाश चंद विद्यार्थी ने शुक्रवार देर शाम व्यक्त किया। भरत के चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भरत और राम के प्रेम को ब्रह्मा, विष्णु, महेश यहां तक की माता सरस्वती भी वर्णन नहीं कर सकती हैं। महाराज भरत महिमा के महा सिंधु के सामने ब्रह्मा के पुत्र वशिष्ठ अपने को असहाय की तरह पाते हैं। अगर देखा जाए तो इस समग्र सृष्टि में भरत की महा महिमा को प्रभु श्री राम के अतिरिक्त अन्य कोई जान ही नहीं पाया है। भरत की महिमा को राम जानते तो हैं लेकिन भरत के महिमा का वर्णन वह स्वयं भी...