रामपुर, दिसम्बर 20 -- श्री कृष्ण चरित मानस रसायन महाकाव्य प्रचार समिति की ओर से उत्सव पैलेस में आयोजित श्री कृष्ण चरित मानस रसायन-महाकाव्य के दूसरे दिवस कथा वाचक ने कहा कि ने कहा कि भाव, कुभाव, अनख अथवा आलस से किसी प्रकार भगवान का नाम लेने पर दसों दिशाओं में मंगल ही मंगल होता हैं। जो भाव से भजते है भगवान उनके पीछे पीछे चलते है और उनका योग क्षेम वहन करते है और जो कुभाव से भजने वाले रावण, कंश, हिरण्यकश्यप जैसे भगत भगवान के बैरी कहलाते है। भगवान इनको मार कर तार देते है। जो भक्त भगवान को नखरे से भजते है भगवान कहते है वह भी हमारा भक्त कहलाता है उसको हम सदगुरु से मिला देते है। जो भक्त आलसी होता हैं बैठा बैठा जम्हाई लेता रहता है,और बार बार चुटकी बजा कर राम राम कहता है में उसका भी कल्याण कर देता हूं। इसलिए भक्तों दृारा किसी प्रकार से भगवान का सुम...
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