मुरादाबाद, सितम्बर 13 -- रेलवे हरथला कालोनी स्थित शिव मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में कथा व्यास आचार्य प्रवीण शास्त्री ने बताया अजामिल जैसा ब्रह्मण भी भक्ति पथ से भटक गया था और कुसंगति में फंस गया था। उसने अपने छोटे पुत्र का नाम नारायण रखा। अंत समय में पुत्र के रूप में भगवान नारायण का नाम लेकर भगवान के धाम को पा गया। इसलिए सदैव भगवान का नाम जप करना चाहिए। उन्होने वृतासुर के चरित्र और फिर भक्त प्रहलाद का प्रसंग सुनाते हुए कहा जो भगवान के नाम का आश्रय ले लेता है वह विष भी पीले तो वह भी अमृत बन जाता है। अग्नि उसके लिए शीतल जल बन जाता है। भक्त प्रहलाद को उनके पिता हियण्य कश्यपु द्वारा मारने के बहुत प्रयास किये मगर सभी असफल रहे। अंत में भगवान ने स्वयं नरसिंह अवतार लेकर हिरण्य कश्यपुका वध कर अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा की। मुख्य यजमान दीप...