मिर्जापुर, दिसम्बर 29 -- हलिया। क्षेत्र के औरा परमहंस आश्रम में रविवार को संगीतमयी भजन के बाद स्वामी अड़गड़ानंद के शिष्य तुलसीदास महाराज ने भक्तों को यथार्थ गीता का पाठ और गुरु के स्वरूप का ध्यान के विधि बताई। तुलसीदास महाराज ने कहा कि ध्याता, ध्यान, ध्येय तीन विधि होती है, जिससे भगवान की प्राप्ति भक्तों को होती है। आस्था सही है तो व्यक्ति गुरु भगवान को खुद खोज लेता है। विश्वामित्र राम लक्षण को लेकर मिथिला पहुंच गए। धनुष यज्ञ में जहां फूल बगिया में गए जहां प्राणों से ज्यादा प्रेम करने वाली सीता को राम को देखना था। भगवान को स्मरण करने वाले को स्वयं पहुंचकर दर्शन देना होता है। फूल तोड़ने के लिए तो जनकपुर में अनेक बगिया थीं, लेकिन महिला बगिया में ही प्रवेश किए। तीर्थ गए एक फल, संत मिले फल चार, यदि सदगुरु मिल जाए तो अनन्त फल मिलता है। मनुष्य ...