सहारनपुर, सितम्बर 6 -- दस दिवसीय दशलक्षण महा मांगलिक अनुष्ठान के दसंवे दिवस "उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म" की पूजा का आयोजन बड़े श्रद्धा भाव से किया गया। प्रातःकाल जैन बाग स्थित जैन मंदिर में विश्व शांति और समस्त प्राणियों के सुख-समृद्धि के लिए अभिषेक और शांतिधारा संपन्न हुई। तत्पश्चात विमर्श सागर महाराज के सानिध्य में जैन समाज जैन फाटक पहुंचा, जहां इस वर्ष की वार्षिक जैन गजरथ यात्रा की घोषणा की गई। श्री वीरोदय तीर्थ मंडपम् में विमर्श सागर महाराज ने उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पर मंगल देशना देते हुए बताया कि दश लक्षण धर्म की आराधना करते हुए परिग्रह का त्याग करने से आत्मा में आकिंचन धर्म प्रकट होता है और यही ब्रह्मचर्य है, जो सभी धर्मों का सार और धर्म का राजा है। उन्होंने कहा कि धर्म को फलीभूत करने के लिए सभी इंद्रियों का नियंत्रण आवश्यक है। आचार्य ने ...