हजारीबाग, अक्टूबर 11 -- डाक टिकटों की दुनिया अब बीते दौर की कहानी बनती जा रही है, लेकिन हजारीबाग में अभी भी कुछ दिल ऐसे हैं, जो इस छोटे से कागज के टुकड़े में इतिहास, संस्कृति और संवेदनाओं की पूरी दुनिया देखते हैं। कभी शहर में पीढ़ियों तक लोकप्रिय रहा फिलाटेली का शौक अब तकनीक की रफ्तार में पीछे छूट गया है। हिन्दुस्तान के बोले हजारीबाग कार्यक्रम में ऐसे ही शौकीनों ने बताया कि डाक टिकट भले दुर्लभ हो गए हों, लेकिन उनसे जुड़ी यादें अब भी जीवित हैं। मोबाइल और ईमेल ने जहां पत्रों को भुला दिया, वहीं टिकट भी दुर्लभ होते चले गए। बावजूद इसके, कुछ जुनूनी फिलाटेलिस्ट अब भी इसको जिंदा रखे हुए हैं। हजारीबाग । हजारीबाग जिले में सैकड़ो ऐसे लोग रहते हैं जिनके अलग अलग शौक है। यह शौक है डाक टिकट संग्रह का जिसे अंग्रेजी में फिलाटेली कहते हैं। डाक टिकट संग्रह ...