हजारीबाग, मई 27 -- हजारीबाग । मनरेगा कर्मियों का जीवन संघर्षों से भरा है। उन्हें प्रतिदिन फील्ड में जाकर मजदूरों को काम देना होता है, कार्य का निरीक्षण करना होता है और रिपोर्टिंग भी करनी होती है। इसके बावजूद रोजगार सेवकों को मात्र 8 से 10 हजार रुपये मासिक मानदेय दिया जाता है, जिससे न तो परिवार चल पाता है, न बच्चों की पढ़ाई हो पाती है। दिसंबर 2024 से कई कर्मियों को 6 महीने से मानदेय नहीं मिला है। 8 अक्तूबर 2024 को सरकार ने 30% मानदेय वृद्धि और सामाजिक सुरक्षा की सहमति दी थी, लेकिन आज तक लागू नहीं किया गया। वहीं मजदूरों के लिए ईपीएफ जैसी सुविधा आज तक शुरू नहीं हुई है, जिससे कर्मियों का भविष्य असुरक्षित बना हुआ है। गृह पंचायत से दूर पोस्टिंग होने से कर्मियों को मानसिक और शारीरिक कष्ट होता है, फिर भी उन्हें कोई यात्रा भत्ता नहीं दिया जाता। दब...
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