भागलपुर, दिसम्बर 27 -- - प्रस्तुति : विजय झा सरकारी नौकरियां अब सीमित होती जा रही हैं, इसलिए विद्यालयों में रोजगारपरक शिक्षा समय की आवश्यकता है। यदि बच्चों को प्रारंभिक स्तर से ही व्यावहारिक और स्वरोजगार आधारित ज्ञान मिले तो उनका भविष्य अधिक सुरक्षित और आत्मनिर्भर बन सकता है। संसाधनों और मार्गदर्शन के अभाव में आज हजारों युवा रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों का रुख कर रहे हैं। विडंबना यह है कि वर्षों की पढ़ाई के बावजूद बड़ी संख्या में युवा बेरोजगार रह जाते हैं। शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं, बल्कि जीवन को संवारना होना चाहिए। परंतु वर्तमान शिक्षा प्रणाली इस दिशा से भटक गई है। जब तक विद्यालय स्तर पर स्वरोजगार, लघु उद्योग और कौशल विकास को स्थान नहीं मिलेगा, तब तक बेरोजगारी और पलायन रोकना मुश्किल होगा। रोजगारोन्मुख शिक्षा ही...