भागलपुर, सितम्बर 20 -- प्रस्तुति : राजेश कुमार सिंह पंचगछिया क्षेत्र की पहचान भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध परंपरा से जुड़ी रही है। यहां का राजघराना परमहंस लक्ष्मीनाथ गोंसाई के समकालीन राजा रूद्र नारायण सिंह के समय से ही संगीत संरक्षण और प्रसार में अग्रणी रहा। बीसवीं शताब्दी में यह घराना अपने उत्कर्ष पर पहुंचा, जब देश के नामी कलाकार यहां आयोजित सम्मेलनों में शामिल होते थे। लेकिन समय के बदलाव, संरक्षण की कमी और उदासीनता के चलते यह परंपरा धीरे-धीरे कमजोर पड़ गई। वर्ष 2001 में पंचगछिया में संगीत महाविद्यालय की नींव रखी गई थी, जिसने लोगों को नए सपनों से जोड़ा, परंतु यह सपना आज भी अधूरा है। रामठाकुर स्थान के उत्तर में स्थित शिलापट्ट अब भी लोगों को उस अधूरे वादे की याद दिलाता है। सत्तरकटैया प्रखंड का पंचगछिया गांव कोसी क्षेत्र की सांस्कृतिक ...
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