मेरठ, सितम्बर 27 -- मेरठ। भारत की सांस्कृतिक धरोहर में रामलीला केवल एक नाटक नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और लोकजीवन की आत्मा है। शहर में जेलचुंगी, रजबन, भैसाली मैदान, जिम खाना मैदान और सूरजकुंड में बड़े स्तर पर रामलीला मंचन होता है। जहां गांव और शहर में मंच पर सजी झांकियों और अभिनय में दर्शक पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जीवन व आदर्शों को जिन कलाकारों के द्वारा साकार होते देखते हैं, उनमें अधिकांश पेशेवर अभिनेता नहीं होते। इनमें प्राइवेट नौकरी वाले, दुकानदार, मजदूर या फिर किसी दफ्तर में काम करने वाले साधारण लोग होते हैं। ये कलाकार दिनभर अपनी नौकरी और जिम्मेदारियों को निभाने के बाद वे रात को देर तक मंच पर पसीना बहाते हैं, लेकिन मंच पर आते ही उनका चेहरा आस्था और उत्साह से चमक उठता है। शहर में जगह-जगह रामलीला मंचन की शुरूआत होने जा रही है। करीब पा...