बिजनौर, जून 10 -- हमारे समाज में हर पेशा महत्वपूर्ण होता है, लेकिन कुछ पेशे ऐसे होते हैं जो लोगों के जीवन की नींव होते हैं और फिर भी उन्हें समाज में उचित मान-सम्मान, पहचान और सुविधा नहीं मिल पाती। ऐसा ही एक पेशा है दस्तावेज लेखक का जो तहसील, कोर्ट परिसर, कचहरी या रजिस्ट्रार ऑफिस के बाहर बैठे मिलेंगे। ये लोग न केवल लोगों की जमीन-जायदाद, कानूनी दस्तावेज, अनुबंध या एफिडेविट तैयार करते हैं बल्कि आम जनता के लिए एक मार्गदर्शक भी होते हैं। यही दस्तावेज लेखक खुद की पहचान और एक आयाम चाहते हैं। दस्तावेज लेखकों के पास न बैठने के लिए चैम्बरों की व्यवस्था है न पेयजल की इंतजाम। दस्तावेज लेखक मांग कर रहे हैं कि पीपीपी मॉडल व फ्रंट आफिस योजना को लागू न किया जाए। जनपद में पांच तहसीलें हैं, जिनमें करीब 150 से अधिक दस्तावेज लेखक दस्तावेज लेखन का काम करते है...