बहराइच, सितम्बर 17 -- दुग्ध उत्पादक समाज का एक अहम हिस्सा हैं, लेकिन उनकी समस्याओं पर समुचित तरीके सरकार ध्यान नहीं दे रही है। यदि प्रशासन इन परेशानियों का समाधान निकालने के लिए ठोस कदम उठाए, तो पशुपालकों की स्थिति सुधर सकती है। इससे न केवल उनका जीवन स्तर बेहतर होगा, बल्कि बेरोजगारी की समस्या भी कम होगी। जिले के अधिकांश पशु चिकित्सालयों में डॉक्टर नहीं हैं, जिससे पशुपालकों को अपने पशुओं के इलाज के लिए निजी चिकित्सकों पर निर्भर रहना पड़ता है। सरकारी पशु चिकित्सालयों में आवश्यक दवाएं भी उपलब्ध नहीं होती हैं, जिससे पशुपालकों को बाजार से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ती हैं। बाढ़ के समय पशुपालकों को अपने पशुओं को सुरक्षित स्थान पर ले जाने में परेशानी होती है और उनके पशुओं को नुकसान भी होता है। इससे दूध् का उत्पादन भी कम होता है। पशुपालकों ने हिन्दुस्...
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