भागलपुर, अगस्त 15 -- -प्रस्तुति : मुकेश कुमार श्रीवास्तव अंतरराष्ट्रीय वाघा सीमा के अलावा देश में केवल पूर्णिया का झंडा चौक ऐसा दूसरा स्थान है, जहां 14 अगस्त की मध्यरात्रि को झंडोत्तोलन होता है। यह वही ऐतिहासिक स्थल है, जो 14 अगस्त 1947 की उस घड़ी का साक्षी है, जब भारत ने पहली बार आजादी की सांस ली थी। उस रात रेडियो से आजादी की घोषणा होते ही खबर पूर्णिया में बिजली की तरह फैल गई। बताया जाता है कि रात 12 बजकर 1 मिनट पर मानिक बाबू की रेडियो दुकान से समाचार प्रसारित हुआ और तत्काल स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह ने झंडा चौक पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। स्थानीय लोगों की सरकार से मांग है कि झंडा चौक समारोह को राजकीय महोत्सव का दर्जा दिया जाए। भारत की आजादी का इतिहास केवल दिल्ली या कोलकाता जैसे बड़े शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के कोने-को...