भागलपुर, जून 10 -- प्रस्तुति: सुधांशु लाल/राकेश सिन्हा मनुष्य के जन्म से लेकर अंतिम समय तक विभिन्न अवसरों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला नाई समाज अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। कठिन श्रम कर परिवार का भरण पोषण कर रहे समाज को श्रमिक सुविधाओं का लाभ न मिलने का मलाल है। इनकी जिंदगी में झांकें तो इन्हें न सरकारी सुरक्षा दिखती है, न सामाजिक। अब इस वर्ग को भी तरक्की की उड़ान के लिए समाज और सरकार से मदद की दरकार है। नाई समाज जन्म मरणोपरांत तक पारंपरिक रीति रिवाजों के लिए आवश्यक है। बगैर इनके किसी भी समाज का अनुष्ठान पूरा होना संभव नहीं है। लेकिन, आज नाई समाज अपने पारंपरिक कार्यों में से बाल-दाढ़ी बनाने तक सीमित रह गया है। जबकि एक दौर था जब नश चढ़ने पर उसे बैठाना, टूटी हुई हड्डी को सेट करने, चंपी करना सहित कई ऐसे कार्यों के लि...