गोंडा, दिसम्बर 29 -- पार्कों में अगर संसाधन माकूल हों तो वहां योग, सेहत और सामाजिक सक्रियता के ऐसे फूल खिल सकते हैं, जो पूरे शहर को स्वस्थ बना दें। सरकार योग और फिटनेस को बढ़ावा देने के दावे तो कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि गोण्डा जैसे शहरों में ओपन जिम और योग सुविधाएं नाकाफी हैं। जहां हैं, वहां रखरखाव और व्यवस्थाएं बदहाल हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या सिर्फ योजनाएं बनाना ही काफी है, या उन्हें सही तरीके से जमीन पर उतारना भी उतना ही जरूरी है। गोण्डा। लोगों की सेहत को बेहतर बनाने के लिए सरकार बीते कुछ वर्षों में पहले से ज्यादा सक्रिय नजर आई है। योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई गई, जगह-जगह योग शिविर हुए और शहरी क्षेत्रों में पार्कों में ओपन जिम लगाए गए, ताकि लोग बिना किसी खर्च के व्यायाम कर सकें। खासकर सर्दियों में इनकी अहमियत और बढ़ ...