गोंडा, सितम्बर 2 -- जिले में इंसानों के साथ बेजुबानों के इलाज के लिए लोगों को नाकों चने चबाने पड़ते हैं। बेजुबानों के इलाज में पशु चिकित्सकों की कमी सबसे बड़ी बाधा है। वक्त बदलने के साथ पशुधन की कीमत बढ़ गई है। समय से और समुचित इलाज के अभाव में मवेशी दम तोड़ देते हैं। गोण्डा। जिले में बदलते समय में पशु तरह-तरह की बीमारी की चपेट में आने लगे हैं। शासन-प्रशासन की अनदेखी पालतू पशुओं के लिए समस्या बन रही है। चिकित्सकों और स्टॉफ की कमी के चलते बेजुबानों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है। जिले के पशु अस्पतालों में चिकित्सकों सहित अन्य कर्मचारियों की कमी होने से पशुओं के इलाज में बड़ी समस्या हो रही है। जिला स्तर से कई बार चिकित्सकों की तैनाती के लिए पत्राचार किया गया है लेकिन हुआ कुछ नहीं। मौजूदा समय में एक चिकित्सक के सहारे आधा दर्जन से ज्यादा पशु...