नई दिल्ली, अगस्त 21 -- वाराणसी। फिजियोथिरेपिस्ट अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं। डिप्लोमाधारी टेक्नीशियनों ने उनके सामने चुनौती खड़ी कर दी है। वे खुद को प्रशिक्षित फिजियोथिरेपिस्ट बताते हैं जबकि उनके पास ज्ञान और अनुभव की कमी होती है। इन दिनों ऐसे लोग भी मरीजों का इलाज कर रहे हैं। फिजियोथिरेपी में मास्टर डिग्रीधारकों का कहना है कि जिम्मेदारों ऐसी स्थिति पर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है। गैर विशेषज्ञों की वजह से इस पेशे की प्रतिष्ठा, सम्मान और मरीजों का विश्वास खतरे में पड़ता जा रहा है। वाराणसी फिजियोथिरेपिस्ट संगठन से जुड़े कई वरिष्ठ फिजियोथिरेपिस्ट ने 'हिन्दुस्तान' से बातचीत में अपनी समस्याएं साझा की। कहा कि हम मेडिकल साइंस के महत्वपूर्ण अंग हैं, हमारे बिना स्वास्थ्य सेवाएं अधूरी हैं। हम मरीजों का दर्द कम करने, उनकी गतिशीलता बढ़ाने और उन...