नई दिल्ली, सितम्बर 12 -- नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। आर्कटिक और अंटार्कटिक की बर्फ तेजी से पिघल रही है। इसे रोकने के लिए कई "जुगाड़ु आइडिया" सामने आए हैं। कहीं समुद्र के नीचे पर्दे लगाने की बात हो रही है ताकि गर्म पानी बर्फ तक न पहुंचे। कहीं बर्फ मोटी करने के लिए समुद्र का पानी पंप करने का ख्याल है, तो कहीं आसमान में कण यानि एयरोसोल छोड़कर सूरज की रोशनी को धरती तक कम पहुंचाने की योजना बन रही है। इन तमाम विचारों पर किए गए अब तक के सबसे बड़े आकलन ने साफ कर दिया है कि ये कतई काम के नहीं, उल्टे नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। सिर्फ ग्रीन हाउस गैसों को कम करके ही बर्फ को खत्म होने से बचाया जा सकता है। फ्रंटियर साइंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में 42 बड़े क्लाइमेट और क्रायोस्फेयर एक्सपर्ट्स ने पांच तरह के जियोइंजीनियरिंग कॉन्सेप्ट्स का आकलन किया...