नई दिल्ली, दिसम्बर 25 -- हर्ष वी पंत, प्रोफेसर, किंग्स कॉलेज, लंदन इस साल अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ देखने को मिले, जिनसे शीत युद्ध के बाद के 'एकध्रुवीय दौर' का अंत होता लग रहा है। अमेरिकी वर्चस्व का युग खत्म हो रहा है और यह बड़ी ताकतों के बीच जबर्दस्त मुकाबले व बढ़ती बहु-ध्रुवीयता के कारण संभव हो सका है। हालांकि, अमेरिका के पास अब भी महत्वपूर्ण क्षमताएं हैं, लेकिन बदल रही अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में वैश्विक नतीजों को तय करने की उसकी ताकत तेजी से घटती जा रही है। 'ट्रंप 2.0' की शुरुआत इस साल की संभवत: सबसे बड़ी खबर रही। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपना कार्यभार साल की शुरुआत में संभाला और वर्षांत होते-होते यह साफ हो गया कि उनके शासन ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के ढांचे को पूरी तरह बदल दिया है। ट्रंप का 'अमेरिका फर्...
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