लखनऊ, दिसम्बर 28 -- सदर, हाता रामदास स्थित शिव श्याम मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा का रविवार को समापन हुआ। कथा के अंतिम दिन आचार्य विष्णुशरण जी महाराज ने जीवन के सार और मोक्ष के मार्ग पर प्रकाश डाला। कथा व्यास ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान और भक्त के बीच केवल भाव का संबंध होता है। उन्होंने कहा कि सुदामा की गरीबी उनके भक्ति मार्ग में कभी बाधा नहीं बनी। सच्ची मित्रता और नि:स्वार्थ प्रेम ही वह धागा है जिससे ईश्वर को बांधा जा सकता है। कृष्ण-सुदामा मिलन के प्रसंग पर पंडाल जय श्री कृष्णा के जयकारों से गूंज उठा। राजा परीक्षित के मोक्ष प्रसंग पर बोलते हुए आचार्य ने कहा कि मृत्यु एक अटल सत्य है, लेकिन यदि जीवन में भागवत रूपी ज्ञान का प्रकाश हो, तो जीव को भय नहीं रहता।

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