भागलपुर, दिसम्बर 30 -- कर्तव्य पालन से बड़ा न कोई धर्म है और न कोई पूजा। कर्तव्यपरायणता सर्वोपरि सद्गुण है। मनुष्य को अपने अच्छे-बुरे कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है। सैकड़ों जन्मों के कर्मों का फल इसी जन्म में भोगे बिना छुटकारा नहीं मिलता। इसलिए बुरे कर्मों से बचते हुए सदैव अच्छे कर्म करते रहना चाहिए। उक्त बातें चौक बाजार स्थित नई दुर्गा मंदिर प्रांगण में आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन स्वामी सुबोधानंद जी महाराज ने श्रोताओं से प्रवचन के दौरान कहीं। उन्होंने श्रीकृष्ण लीला का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि प्रेम और भक्ति के बल पर नंदजी की पत्नी यशोदा ने आंगन में बाल-क्रीड़ा कर रहे श्रीकृष्ण, जो अनंत कोटि ब्रह्मांड नायक साक्षात परमेश्वर हैं, को अपना पुत्र समझकर रस्सी से उखल में बांध दिया। यशोदा ने प्रेम के बल पर जो क...
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