वाराणसी, सितम्बर 11 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। तबला और पखावज वादन की प्राचीन विधा नए दौर में भी निखार पा रही है। इसका उदाहरण गुरुवार को नागरी प्रचारिणी सभा में आरंभ हुए नादश्री म्यूजिक अकादमी के लयोत्सव में दिखा। पहली संध्या में उदीयमान और स्थापित दोनों ही श्रेणी के कलाकारों ने एक मंच से इस निखार की अनुभूति श्रोतादीर्घा में बैठे विभिन्न वय के कलाकारों को कराई। मुख्य आकर्षण बीएचयू के डॉ. प्रवीण उद्धव का स्वतंत्र तबला वादन रहा। उन्होंने तीनताल में निबद्ध विशेष प्रस्तुति से श्रोताओं को मोह लिया। उनके साथ गायन में मृणाल रंजन और हारमोनियम पर प्रेमचंद ने सहयोग किया। लयोत्सव की शुरुआत प्रशांत मिश्र के एकल तबला वादन से हुई। झपताल में स्वतंत्र वादन कर पारंपरिक उठान, आमद, कायदा, टुकड़ा, परन बजाकर गुरु परंपरा का परिचय दिया। हारमोनियम पर लहरा आनंद ...