दिल्ली, जून 2 -- बीते हफ्ते, स्विट्जरलैंड के आल्प्स पर्वतों में ग्लेशियर टूटने की घटना ने साफ कर दिया है कि गर्म होती दुनिया का बर्फीले इलाकों पर कितना प्रभाव पड़ रहा है.ग्लेशियर, धरती के पानी का जमा हुआ भंडार होता है.यह पानी की आपूर्ति, पारिस्थितिक तंत्र और सांस्कृतिक परंपराओं को बनाए रखने में मदद करते हैं.यह बर्फ की चादर अब तेजी से पिघल रही हैं.लेकिन इसके पिघलने से हमें क्या नुकसान?बुधवार को जब बिर्च ग्लेशियर पिघल कर बिखरा, तो दक्षिणी स्विट्जरलैंड के वालिस इलाके में बसे ब्लाटन गांव को इसने अपनी चपेट में ले लिया.ढेर सारे मलबे ने लॉन्जा नदी का रास्ता बंद कर दिया, जिससे बाढ़ जैसे हालात बन गए.हिमालय में बर्फबारी 23 साल के निचले स्तर पर, दो अरब लोगों पर खतरादुनिया के लगभग 70 फीसदी ताजे पानी का भंडार ग्लेशियर के रूप में ही है.पहाड़ में ऊंचाई व...
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