शामली, सितम्बर 3 -- शहर के जैन धर्मशाला में चल रहे दशलक्षण धर्म महापर्व के अवसर पर मंगलवार को वात्सल्य श्री 108 विव्रत सागर मुनिराज ने उत्तम संयम धर्म पर प्रवचन दिया। उन्होंने कहा कि जीवन में बंधन अनिवार्य हैं। चाहे पारिवारिक हों, सामाजिक हों या आध्यात्मिक, वे हमें दिशा और संरक्षण देते हैं। श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए जैन मुनि ने कहा कि विद्यार्थी अनुशासन में रहकर शिक्षा पाता है, दांपत्य बंधन जिम्मेदारी और सुरक्षा प्रदान करता है तथा साधु धर्म का बंधन आत्मा की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। मुनिराज ने कहा कि बंधन सुखद भी लग सकते हैं और बोझ भी, यह व्यक्ति की दृष्टि पर निर्भर करता है। यदि इन्हें सहयोग और मार्गदर्शन के रूप में देखें तो आनंद मिलता है, लेकिन मजबूरी या रोक-टोक मानने पर असंतोष उत्पन्न होता है। उन्होंने अकबर-बीरबल की प्रसिद्...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.