गोरखपुर, दिसम्बर 21 -- गोरखपुर, मुख्य संवाददाता। पत्रकार एवं लेखक यशवंत व्यास ने कहा कि पल्प साहित्यकार समाज के हर हिस्से से जुड़े हैं, इसलिए उसकी नब्ज जानते हैं। दिल्ली और मेरठ के बीच हिंदी ज्यादा पढ़ी जाती रही, इसीलिए बेगमपुर का पता होना जरूरी था। कोई भी चीज बेकार नहीं होती। क्राइम थिलर की कहानियों के दौर में तो हमे फिल्में भी नहीं देखने को मिलती थीं। पल्प में जो होता है, वह कहीं न कहीं जीवन में होता है, इसी विश्वास ने 'बेगमपुल से दरियागंज' लिखने को प्रेरित किया। चर्चा के दौरान उन्होंने पल्प को लोकप्रिय साहित्य करार देते हुए सिनेमा और अब ओटीटी के साथ जोड़ा। यशवंत व्यास जीएलएफ के दूसरे दिन साहित्य सत्र में 'तीन लेखक, तीन कहानियां, तीन अंदाज़' को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने गुलशन नन्दा, वेद प्रकाश शर्मा और सुरेंद्र पाठक जैसे लेखकों का उदा...