मुजफ्फर नगर, दिसम्बर 25 -- क्रांतिवीर मुनि प्रतीक सागर महाराज ने कहा कि गुरुओं की सेवा मांगी नहीं जाती, की जाती है। सेवा से ही मेवा मिलती है। परमात्मा और गुरु की सेवा करना इंसान का कर्तव्य है। जो सेवा करता है वह एक दिन भवसागर से परे होकर अनंत सुख को प्राप्त करता है। सेवा दूसरों को दिखाने के लिए नहीं स्वयं के जीवन में प्रेरणा प्राप्त करने के लिए। मुनिक प्रतीक सागर महाराज गुरुवार को चंद्रप्रभ दिगंबर जैन मंदिर पीसनोपाडा मैं दैनिक धर्म सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि तीर्थंकर ऋषभदेव मानवता के मसीहा थे, जिन्होंने सभी जीवों को जीवन यापन के सूत्र प्रदान किया।आदर्श परिवार कैसे बनाया जा सकता है। बताया कि महापुरुषों को अपना रो मॉडल बनाने वाला कभी भी दुख के अंधेरे में को नहीं सकता है। तीर्थंकर ऋषभदेव बुजुर्गों के रो मॉडल है तो भगवान महावीर...
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