जौनपुर, दिसम्बर 25 -- जौनपुर, संवाददाता। कथा व्यास डॉ.रजनीकान्त द्विवेदी ने कहा कि परमात्मा को प्राप्त करने के लिए ही मनुष्य जन्म मिला है। इसलिए सभी मनुष्यों को चाहिए कि वह जीवन के प्रत्येक सांस पर परमात्मा का भजन करें तभी यह मनुष्य जीवन सार्थक होगा। क्रोध, अभिमान, स्वयं की प्रशंसा, अधिक बोलना, त्याग का अभाव एवं स्वार्थ सिद्धि इन छह कर्मो के चलते ही कलयुग में मनुष्य 100 वर्ष की आयु पूर्ण नहीं कर पाता। यह बातें उन्होंने पुरानी बाजार स्थित वरिष्ठ अधिवक्ता पं.यादवेंद्र चतुर्वेदी के आवास परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन मंगलवार को कही। उन्होंने कहा कि गृहस्थ जीवन सर्वोत्तम है। मनुष्य को चाहिए कि गृहस्थी के प्रत्येक उद्देश्यों की पूर्ति करता हुआ परमात्मा का भजन करता रहे। भजन करने और शुद्ध सात्विक आहार ग्रहण करने से मन परमात्मा के...